देवपूजा
देवपूजा द्वारा -आर्यिका सुदृष्टिमति माताजी प्र. ३५३। जिनपूजक का स्वरूप क्या है? उत्तर: पूजा के समान ही पूजक, पूजा करने वाला भी विशिष्ट विधिवत् मन, वचन, काय की शुद्धिपूर्वक होना चाहियो सर्वप्रथम पूजक सर्वागपूर्ण होना चाहिये। विकलांग वाला न हो। शरीर में आठ अंग कहे हैं, उन सबसे युक्त होना चाहिये। पुनः उत्तम कुलोत्पन अर्थात्…