षडूर्मि जीवन में अभीष्ट की प्राप्ति हेतु हमें अपना समय, ऊर्जा और प्रयास सार्थक दिशा में लगाने चाहिए। ऐसे में यह आवश्यक है कि हम गलत दिशा में जाने से बचें। इस दिशा में जाने से बचने के लिए हमें अपने अस्तित्व की छह विकारी तरंगों को समझना होगा। इन तरंगों को शास्त्रों में षडूर्मि…
अभ्यास की शक्ति निरंतर अभ्यास से मन को जीतना संभव है। परमात्मा प्राप्ति का लक्ष्य भी इससे पूर्ण होता है। इसलिए मनुष्य के जीवन में नियमित अभ्यास का क्रम होना अत्यंत जरूरी है। इसके द्वारा मनुष्य निज जीवन में मनचाहा लक्ष्य पूर्ण कर सकता है। गीता में श्रीकृष्ण चंचल मन को नियंत्रित करने के लिए…
करुणा करुणा प्रकृति प्रदत्त ऐसा दिव्य मानवीय गुण है, जिसके रहते सत्य, अहिंसा, त्याग, दया, परोपकार आदि सद्गुणों का प्रादुर्भाव स्वयं होता है। मानवता इन्हीं से पालित एवं पोषित होती है। करुणा धर्म और मानवता की संरक्षिका है। इससे ही अंतत्करण में सभी के प्रति दया का भाव जागृत होता है। दया करुणा की पर्याय…
अवसर ज्ञान, आनंद और प्रसिद्धि के शिखर तक वही लोग पहुंचे, जिन्होंने अनुकूल अवसर नहीं मिलने परिस्थितियां विपरीत होने जैसे बहानों की आइ नहीं ली। प्रभु की न्यायप्रियता और उसके निर्णयों के प्रति उन्हें संदेह न रहा। उन्होंने कठिन प्रतीत होते समय में भाग्य को नहीं कोसा, अपितु निरंतर कर्मरत रहे। प्रतिकूल लगती घटना से…
गोम्मटसार जीवकाण्डसार परीक्षा प्रश्नपत्र-१ सही उत्तर और परीक्षाफल Download link by Sanyam Jain