02. श्रीवासुपूज्य जिनपूजा
पूजा नं. 2 श्रीवासुपूज्य जिनपूजा अथ स्थापना-गीता छंद श्रीवासुपूज्य जिनेन्द्र वासव-गणों से पूजित सदा। इक्ष्वाकुवंश दिनेश काश्यप-गोत्र पुंगव शर्मदा।। सप्तर्द्धिभूषित गणधरों से, पूज्य त्रिभुवन वंद्य हैं। आह्वान कर पूजूँ यहाँ, मिट जाएगा भव फंद है।।१।। -गीता छंद- वासुपूज्य तीर्थेश प्रभु, बालयती जगवंद्य। नमूं नमूं नित भक्ति से, पाऊं परमानंद।।२।। ॐ ह्रीं श्रीबालयति वासुपूज्यतीर्थंकर! अत्र अवतर…