30. पंचकल्याणक तीर्थ पूजा
(पूजा नं. 28) पंचकल्याणक तीर्थ पूजा अथ स्थापना (गीता छंद) वर पंचकल्याणक जगत में, इंद्रगण से वंद्य हैं। त्रैलोक्यपति तीर्थंकरों की, चरणरज से धन्य हैं।। मैं स्वात्मसिद्धी प्राप्ति हेतू, सर्व तीर्थों को जजूँ। आह्वाननादी विधि करूँ, सम्पूर्ण कल्याणक भजूँ।। ॐ ह्रीं सार्धद्वयद्वीपसंबंधिसप्तत्यधिकशतकर्मभूमिस्थिततीर्थंकरपंचकल्याणक- क्षेत्र महामुनिनिर्वाणक्षेत्र सर्वअतिशयक्षेत्रसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं सार्धद्वयद्वीपसंबंधिसप्तत्यधिकशतकर्मभूमिस्थिततीर्थंकरपंचकल्याणक- क्षेत्र महामुनिनिर्वाणक्षेत्र…