04. आचार्य पूजा
(पूजा नं: 4 ) आचार्य पूजा -स्थापना-गीता छंद- जो स्वयं पंचाचार पालें, अन्य से पलवावते। छत्तीस गुण धारें सदा, निज आत्मा को ध्यावते।। ऐसे परम आचार्यवर, भवसिंधु से भवि तारते। इस हेतु उनकी अर्चना, हित हम हृदय में धारते।।1।। ॐ ह्री णमो आइरियाणं श्रीआचार्यपरमेष्ठिसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्नाननं। …