09. उत्तम त्याग धर्म पूजा
(पूजा नं.-9) उत्तम त्याग धर्म पूजा तर्ज-जरा सामने तो आओ……… करूँ त्याग धर्म की अर्चना, इसकी महिमा बड़ी ही महान है। मुनि-श्रावक सभी इसे पालकर,…
(पूजा नं.-9) उत्तम त्याग धर्म पूजा तर्ज-जरा सामने तो आओ……… करूँ त्याग धर्म की अर्चना, इसकी महिमा बड़ी ही महान है। मुनि-श्रावक सभी इसे पालकर,…
(पूजा नं.-8) उत्तम तप धर्म पूजा तर्ज-ए री छोरी बांगड़ वाली………….. उत्तम तपो धर्म की पूजा, भव्यों को सुखकारी है-२।।टेक.।। अंतरंग बहिरंग तपों से युक्त मुनीजन रहते हैं-२। श्रावक…
(पूजा नं.-7) उत्तम संयम धर्म पूजा -स्थापना- तर्ज-सन्त साधू बनके……… मिल गया मानव जनम, भव भव के पुण्य प्रताप से। पाऊँ अब संयम रतन, फिर छूट जाऊँ पाप से।। प्राणि…
(पूजा नं.-6) उत्तम शौच धर्म पूजा तर्ज-कभी राम बनके……….. पूजा पाठ करने, मंत्र जाप करने, चले आए-मंदिर में चले आए।।टेक.।। दश धर्मों में शौच…
(पूजा नं.-5) उत्तम सत्य धर्म पूजा -स्थापना (स्रग्विणी छंद)- मुक्तिपथ में सदा सत्य की जीत है। साधुगण गाते सब सत्य के गीत हैं।। स्वात्महित हेतु है सत्य की अर्चना। मैं करूँ स्थापना धर्म की वंदना।। ॐ ह्रीं उत्तम सत्य धर्म! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं उत्तम…
(पूजा नं.-4) उत्तम आर्जव धर्म पूजा -अथ स्थापना (अडिल्ल छंद)- उत्तम आर्जव धर्म सकल सुखकार है। ऋजु भावों से मिलता पुण्य अपार है।। मन में उसको धारण कर अर्चन करूँ। आह्वानन स्थापन कर वंदन करूँ।। ॐ ह्रीं उत्तम आर्जव धर्म! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं उत्तम…
(पूजा नं.-3) उत्तम मार्दव धर्म पूजा -स्थापना (अडिल्ल छंद)- उत्तम मार्दव धर्म विनय गुण पूर्ण है। मान कषाय को करता वह निर्मूल है।। इसकी पूजन करूँ विनय चित लायके। जिनवर ढिग स्थापन कर लूँ आयके।।१।। ॐ ह्रीं उत्तममार्दवधर्म! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं उत्तममार्दवधर्म! अत्र तिष्ठ…
(पूजा नं.-2) उत्तम क्षमाधर्म पूजा -स्थापना- तर्ज-रोम-रोम से………….. जनम जनम में पाऊँ, जिनवर दर्श तुम्हारा। हाँ दर्श तुम्हारा…….. …
(पूजा नं.-1) समुच्चय पूजा -दोहा- पर्व अनादि अनंत है, दशलक्षणमय धर्म। होता भव का अंत है, करें यदी शुभकर्म।।१।। धर्म नाम से हैं क्षमा, मार्दव आर्जव भाव। शौच सत्य संयम तथा, तप अरु त्याग स्वभाव।।२।। आकिंचन्य व ब्रह्मचर्य, हैं धर्मों के सार। इनकी पूजन से करूँ, मुक्तिपंथ साकार।।३।। ॐ ह्रीं उत्तमक्षमादिदशलक्षणधर्मसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट्…
सहस्रनाम विधान 01. मंगलाचरण 02. पूजा नं. 1 03. पूजा नं. 2 04. पूजा नं. 3 05. पूजा नं. 4 06. पूजा नं. 5 07. पूजा नं. 6 08. पूजा नं. 7 09. पूजा नं. 8 10. पूजा नं. 9 11. पूजा नं. 10 12. पूजा नं. 11 13. समुच्चय जयमाला