08. काकन्दी तीर्थ पूजा
(पूजा नं.-7) काकन्दी तीर्थ पूजा -स्थापना- तर्ज-आओ बच्चों…….. चलो चलें काकन्दी नगरी, पुष्पदन्त को नमन करें। जन्मभूमि की पूजन…
(पूजा नं.-7) काकन्दी तीर्थ पूजा -स्थापना- तर्ज-आओ बच्चों…….. चलो चलें काकन्दी नगरी, पुष्पदन्त को नमन करें। जन्मभूमि की पूजन…
(पूजा नं.-6) श्री चन्द्रपुरी तीर्थ पूजा स्थापना-शंभु छन्द अष्टम तीर्थंकर चन्द्रप्रभू की, जन्मभूमि है चन्द्रपुरी। गर्भागम से केवलज्ञानी, बनने तक पावन हुई मही।। उस चन्द्रपुरी तीरथ की पूजन, से पहले आह्वानन है। स्थापन सन्निधिकरण सहित, जन्मस्थल का आराधन है।। ॐ ह्रीं तीर्थंकरश्रीचन्द्रप्रभजन्मभूमिचन्द्रपुरीतीर्थक्षेत्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …
(पूजा नं.-5) वाराणसी तीर्थ पूजा -स्थापना (शंभु छंद)- जिस वाराणसि नगरी का हमने, नाम सुना है ग्रंथों में। जो पावन और पवित्र सुपारस, पार्श्वनाथ के चरणों से।। उस जन्मभूमि तीरथ की पूजन, हेतु करूँ आह्वानन मैं। स्थापन सन्निधिकरण करूँ, वाराणसि तीर्थ का अर्चन मैं।।१।। ॐ ह्रीं तीर्थंकर श्रीसुपार्श्वनाथ पार्श्वनाथ जन्मभूमि वाराणसी तीर्थक्षेत्र! अत्र अवतर अवतर…
(पूजा नं.-4) कौशाम्बी तीर्थ पूजा तर्ज- आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं…… पदमचिन्ह युत पदमप्रभू की, जन्मभूमि वन्दना करें। कौशाम्बी शुभ तीर्थ ऐतिहासिक, की हम अर्चना करें।। …
(पूजा नं.-3) श्रावस्ती तीर्थ पूजा -स्थापना (शंभु छंद)- श्री संभव जिन के जन्मकल्याणक, से पावन श्रावस्ती है। जहाँ मात सुषेणा के आँगन में, हुई रत्न की वृष्टी है।। उस श्रावस्ती तीरथ की पूजन, करके पुण्य कमाना है। आह्वानन स्थापन करके, आत्मा में तीर्थ बसाना है।। ॐ ह्रीं तीर्थंकर श्रीसंभवनाथ जन्मभूमि श्रावस्तीतीर्थक्षेत्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट्…
(पूजा नं.-2) अयोध्या तीर्थ पूजा रचयित्री-गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी -अथ स्थापना- …
(पूजा नं.-1) तीर्थंकर पंचकल्याणक तीर्थ पूजा (समुच्चय पूजा) -शंभु छंद- श्री ऋषभदेव से महावीर तक चौबिस तीर्थंकर प्रभु हैंं। इन सबके पंचकल्याणक से पावन तेईस तीर्थ भू हैं।। मेरा भी हो कल्याण प्रभो! मैं पंचकल्याणक तीर्थ नमूँ। आह्वानन स्थापन एवं सन्निधीकरण विधि से प्रणमूँ।। ॐ ह्रीं वृषभादिवीरान्तचतुर्विंशतितीर्थंकराणाम् पंचकल्याणक तीर्थसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …
नवदेवता पूजन –गणिनी आर्यिका ज्ञानमती -गीता छन्द- अरिहंत सिद्धाचार्य पाठक, साधु त्रिभुवन वंद्य हैं। जिनधर्म जिनआगम जिनेश्वर, मूर्ति जिनगृह वंद्य हैं।। नव देवता ये मान्य जग में, हम सदा…
चौबीस तीर्थंकर विधान 01. मंगल स्तोत्र 02. चौबीस तीर्थंकर पूजा (समुच्चय पूजा) 03. भगवान श्री ऋषभदेव जिनपूजा 04. भगवान श्री अजितनाथ जिनपूजा 05. भगवान श्री संभवनाथ जिनपूजा 06. भगवान श्री अभिनंदन जिनपूजा 07. भगवान श्री सुमतिनाथ जिनपूजा 08. भगवान श्री पद्मप्रभ जिनपूजा 09. भगवान श्री सुपार्श्वनाथ जिनपूजा 10. भगवान श्री चन्द्रप्रभ जिनपूजा 11. भगवान श्री…
बड़ी जयमाला -समुच्चय जयमाला-शंभु छंद- जय ऋषभदेव जय अजितनाथ, संभवजिन अभिनंदन जिनवर। जय सुमतिनाथ जय पद्मप्रभ, जिनसुपार्श्व चन्द्रप्रभ जिनवर।। जय पुष्पदंत शीतल श्रेयांस, जय वासुपूज्य जिन तीर्थंकर। जय विमलनाथ जिनवर अनंत, जय धर्मनाथ जय शांतीश्वर।।१।। जय कुंथुनाथ अरनाथ मल्लि, जिन मुनिसुव्रत तीर्थेश्वर की। जय नमिजिन नेमिनाथ पारस, जय महावीर परमेश्वर की।। ये चौबीसोें तीर्थंकर ही,…