26. भगवान श्री महावीर जिनपूजा
भगवान श्री महावीर जिनपूजा (तर्ज-तुमसे लागी लगन……) आपके श्रीचरण, हम करें नित नमन, शरण दीजे। नाथ! मुझपे कृपा दृष्टि कीजे।।टेक.।। वीर सन्मति महावीर भगवन् ! आवो आवो यहाँ नाथ! श्रीमन्! आप पूजा…
भगवान श्री महावीर जिनपूजा (तर्ज-तुमसे लागी लगन……) आपके श्रीचरण, हम करें नित नमन, शरण दीजे। नाथ! मुझपे कृपा दृष्टि कीजे।।टेक.।। वीर सन्मति महावीर भगवन् ! आवो आवो यहाँ नाथ! श्रीमन्! आप पूजा…
भगवान श्री पार्श्वनाथ जिनपूजा -अथ स्थापना- (तर्ज-गोमटेश जय गोमटेश मम हृदय विराजो……..) पार्श्वनाथ जय पार्श्वनाथ, मम हृदय विराजो-२ हम यही भावना भाते हैं, प्रतिक्षण ऐसी रुचि बनी रहे। हो रसना…
भगवान श्री नेमिनाथ जिनपूजा -अथ स्थापना- (तर्ज-करो कल्याण आतम का……) नमन श्री नेमि जिनवर को, जिन्होंने स्वात्मनिधि पायी। तजी राजीमती कांता, तपो लक्ष्मी…
भगवान श्री नमिनाथ जिनपूजा -अथ स्थापना-गीता छंद- नमिनाथ के गुणगान से, भविजन भवोदधि से तिरें। मुनिगण तपोनिधि भी हृदय में, आपकी भक्ती धरें।। हम भी करें आह्वान प्रभु का, भक्ति श्रद्धा से यहाँ। सम्यक्त्व निधि मिल जाय स्वामिन्! एक ही वांछा यहाँ।।१।। ॐ ह्रीं श्रीनमिनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …
भगवान श्री मुनिसुव्रतनाथ जिनपूजा -अथ स्थापना (नरेंद्र छंद)- श्री मुनिसुव्रत तीर्थंकर के, चरण कमल शिर नाऊँ। व्रत संयम गुण शील प्राप्त हों, यही भावना भाऊँ।। मुनिगण महाव्रतों को पाकर, मुक्तिरमा को परणें। हम भी आह्वानन कर पूजें, पाप नशें इक क्षण में।।१।। ॐ ह्रीं श्रीमुनिसुव्रतनाथजिनेंद्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …
भगवान श्री मल्लिनाथ जिनपूजा -अथ स्थापना-नरेन्द्र छंद- तीर्थंकर श्रीमल्लिनाथ ने, निज पद प्राप्त किया है। काम मोह यम मल्ल जीतकर, सार्थक नाम किया है।। कर्म मल्ल विजिगीषु मुनीश्वर, प्रभु को मन में ध्याते। हम पूजें आह्वानन करके, सब दु:ख दोष नशाते।।१।। ॐ ह्रीं श्रीमल्लिनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …
भगवान श्री अरहनाथ जिनपूजा -दोहा- तीर्थंकर अरनाथ! तुम, चक्ररत्न के ईश। ध्यान चक्र से मृत्यु को, मारा त्रिभुवन ईश।।१।। आह्वानन विधि से यहाँ, मैं पूजूँ धर प्रीत। रोग शोक दु:ख नाशकर, लहूँ स्वात्म नवनीत।।२।। ॐ ह्रीं श्रीअरनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीअरनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ…
भगवान श्री कुंथुनाथ जिनपूजा -दोहा- परमपुरुष परमातमा, परमानन्द स्वरूप। आह्वानन कर मैं जजूँ, कुंथुनाथ शिवभूप।।१।। ॐ ह्रीं श्रीकुंथुनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीकुंथुनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं। ॐ ह्रीं श्रीकुंथुनाथजिनेन्द्र! अत्र…
भगवान श्री शांतिनाथ जिनपूजा स्थापना-गीता छंद हे शांतिजिन! तुम शांति के, दाता जगत विख्यात हो। इस हेतु मुनिगण आपके, पद में नमाते माथ को।। निज आत्मसुखपीयूष को, आस्वादते वे आप में। इस हेतु प्रभु आह्वान विधि से, पूजहूँ नत माथ मैं।।१।। ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …
भगवान श्री धर्मनाथ जिनपूजा -अथ स्थापना-गीता छंद- श्री धर्मनाथ जिनेन्द्र धर्मामृत पिला के भव्य को। निज आत्म का दर्शन कराया, पथ दिखाया विश्व को।। उनके चरण की वंदना कर, भक्ति से गुण गायेंगे। आह्वान कर पूजें यहाँ, जिनधर्म प्रीति बढ़ायेंगे।। ॐ ह्रीं श्रीधर्मनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ…