26. शिलान्यासविधि
शिलान्यासविधि भूमि-परीक्षा १. सर्वप्रथम स्वस्तिक बनाकर एक हाथ लम्बा चौड़ा गड्ढा खोदकर भूमि परीक्षण करें। गड्ढे से खोदी गई मिट्टी ही उसमें भरे, कम रहे तो अशुभ, सम रहे तो मध्यम और गड्ढे से अधिक हो तो उत्तम। …
शिलान्यासविधि भूमि-परीक्षा १. सर्वप्रथम स्वस्तिक बनाकर एक हाथ लम्बा चौड़ा गड्ढा खोदकर भूमि परीक्षण करें। गड्ढे से खोदी गई मिट्टी ही उसमें भरे, कम रहे तो अशुभ, सम रहे तो मध्यम और गड्ढे से अधिक हो तो उत्तम। …
Final Paper With Ans. by Sanyam Jain Final Result by Sanyam Jain
मंदिर एवं वेदी शुद्धि हेतु घटयात्रा और शुद्धि विधान विधि मंदिर, वेदी तथा कलशों की शुद्धि के लिए तीर्थजल की आवश्यकता होती है। अत: किसी जलाशय पर गाजे-बाजे के साथ जाकर जल लाना चाहिए। इस कार्य के लिए कम…
महाशांतिधारा ।।ॐ नम: शांतिजिनेशिने।। —शार्दूलविक्रीडित छंद— श्री खण्डोद्भवकर्दमै: सुरुचिरै: कर्पूरचूर्णैर्मितै:। संमिश्रैरतिगन्धिभिर्नदनदीकासारकूपादिभि:।। पाथोभि: परिपूरितेन कलशैर्नान्त: स्थितैर्नात्मनां। शान्त्यर्थं महाशांतिमंत्रपठनैर्देवं जिन स्नापये।।१।। गद्य ॐ कर्पूरकाश्मीरागुरुमलयजादिक्षोदव्यामिश्रैर्निर्णिक्तस्वर्णरेणूयमान-कञ्ज-किंजल्क-पुञ्जपिञ्जरितैर्बिजितविलसद्विलासिनीविलोललोचन-नीलनीरज-जलदपरिपूरितै: परिपूरितसकलजगद्घ्राणविवरबंधुरसौगन्द्ध्यै:। —वसन्ततिलका छंद— अन्धीकृतालिभिरभिष्टुतहेमकुम्भ- सन्धारितैर्विजितदिग्द्विपदानगन्धै:। बन्धुप्रभुं भवभृतां हतघातिबन्धम्, गन्धोदवैर्जिनपतिं स्नपयामि शान्त्यै।।२।। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अर्हं वं मं…
मंगलकलश स्थापन का संकल्प मंत्र ॐ आद्यानामाद्ये जम्बूद्वीपे मेरोर्दक्षिणभागे भरतक्षेत्रे आर्यखण्डे ….. प्रदेशे ….. देशे ….. ग्रामे ….. जिनचैत्ययालये वीरनिर्वाण संवत् ….. तमे ….. ईस्वी सन् ….. तमे ….. मासोत्तममासे ….. पक्षे ….. तिथौ ….. वासरे ….. विधानावसरे ……..
लघु पुण्याहवाचन पुण्याहवाचन के पूर्व एक पट्टे या चौकी पर श्वेत चावल बिछावें और उसके ऊपर ह्रीं एवं स्वस्तिक बनाकर जल से परिपूर्ण कलश में हल्दी, सुपारी, सरसों, नवरत्न, गंध, अक्षतादिक मंगल द्रव्य डालें एवं मुख पर नारियल, नागर…
मंगलाष्टकस्तोत्रम् -शार्दूलविक्रीडितछंद:- सिद्धे: कारणमुत्तमा जिनवरा, आर्हंत्यलक्ष्मीवरा:। मुख्या ये रसदिग्युता गुणभृतस्त्रैलोक्यपूजामिता:।। चित्ताब्जं प्रविकासयंतु मम भो! ज्योति:प्रभा भास्करा:। तीर्थेशा वृषभादिवीरचरमा: कुर्वंतु नो मंगलम्।।१।। या शैवल्यविभा निहंति भविनां, ध्वांतं मन:स्थं महत्। सा ज्योति: प्रकटीक्रियान्मम मनो-मोहान्धकारं हरेत्।। या आश्रित्य वसंति द्वादशगणा, वाणीसुधापायिन:। तास्तीर्थेशसभा अनंतसुखदा:, कुर्वन्तु नो मंगलम्।।२।। पूज्यां गंधकुटी दधाति कटनी, रत्नादिभिर्निर्मिता। एतस्यां हरिविष्टरे मणिमये, मुक्ताफलाद्यैर्युते।। आकाशे चतुरंगुले जिनवरास्तिष्ठंति…
हवनविधि (इसमें सर्वप्रथम संकल्प करके पुण्याहवाचन करें) संकल्प मंत्र—शेर छंद— अर्हंत देव कथित दयामूल धर्म है। याजक व श्रावकों के लिये सौख्य मर्म है।। इन धर्मनिष्ठ जनों को सद्धर्म वृद्धि हो। श्रीबल व आयु स्वास्थ्य व ऐश्वर्य वृद्धि हो।।१।। अथ श्रीमज्जिनशासने भगवतो…
अथ कुमुदादिद्वारपालानुकूलनं —दोहा— पूर्वादि चउ द्वार की, विधिवत् रक्षा हेतु। कुमुद आदि सुर को जजूँ, निज पर मंगल हेतु।। (तोरणों के पास आदि स्थानों में पुष्पांजलि क्षेपण करें।) बहु धान्य अंकुरों से मंगल सुद्रव्य से। मंगल कलश से शोभे वर स्वस्तिकादि से।। जिनयज्ञ में सुवर्णदण्ड हाथ में धरें। पूरब के कुमुद द्वारपाल विघ्न परिहरें।।२।। ॐ…
अथ मंडप प्रतिष्ठा विधान चाल—शेर— ॐ मणिमयी स्तंभ से उँचा महामंडप। दसविध ध्वजाओं से महारमणीय है मंडप।। तोरण चंदोवा चंवर छत्र पुष्पहार से। अतिशोभता मंगल कलश व धूप घटों से।।१।। मंडपांत: पुष्पांजलिं क्षिपेत्। (मंडप के अन्दर…