04. पूजा नं. 3
पूजा नं. 3 अथ स्थापना-गीताछंद जो पंच कल्याणकपती, शत इन्द्र गण से वंद्य हैं। जिनदेव जिनेंद्र जिनेश जिनवर, नाम से अभिनंद्य हैं।। वे दिव्य देशना दे करके सब भाषा के अधिपती बने। उनका आह्वानन कर पूजें, हम स्वपर ज्ञान के धनी बने।।१।। ॐ ह्रीं तीर्थंकराणां दिव्यभाषापत्यादिशतनाममंत्र समूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …