10. पाँच सौ बारह गुणसहित सप्तम पूजा
पूजा नं.7 पाँच सौ बारह गुणसहित सप्तम पूजा अथ स्थापना (तर्ज—ऐ माँ तेरी सूरत….) शिवतरु की जड़ सम्यग्दर्शन, इस बिना मोक्षफल क्या होगा। भगवान्! तुम्हारी भक्ती से, बढ़ करके मोक्षपथ क्या होगा।।टेक.।। भक्ती ही तो समकित, निश्चय व्यवहार द्विविध। स्वात्मा की श्रद्धा ही, निश्चय सम्यक्त्व सहित।। पाँचों परमेष्ठी श्रद्धा बिन, निश्चय समकित भी क्या होगा।भग.।।१।।…