07. जयमाला
जयमाला -दोहा- पूरब भव में आपने, सोलहकारण भाय। तीर्थंकर पद पाय के, तीर्थ चलाया आय।।१।। -रोला छंद- दर्श विशुद्धि प्रधान, नित्यप्रती प्रभु ध्या के। अष्ट अंग से शुद्ध, दोष पच्चीस हटा के।। मन वच काय समेत, विनय भावना भायी। मुक्ति महल का द्वार, भविजन को सुखदायी।।२।। व्रतशीलों में आप, नहिं अतिचार लगाया। संतत ज्ञानाभ्यास, करके…