55. ब्रह्मकल्प जिनालय पूजा
पूजा नं.-55 ब्रह्मकल्प जिनालय पूजा अथ स्थापन-नरेन्द्र छंद ब्रह्म ब्रह्मोत्तर युगल स्वर्ग में, चार लाख जिनमंदिर। मणिमय रत्नमयी जिनप्रतिमा, पूजा करें पुरंदर।। मैं भी इनका आह्वानन कर, भक्ति भाव से पूजूँ। आतम अनुभव अमृत पीकर, जन्म मरण से छूटूँ।।१।। ॐ ह्रीं ब्रह्मब्रह्मोत्तरकल्पमध्यस्थितचतुर्लक्षजिनलायजिनबिम्ब समूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं ब्रह्मब्रह्मोत्तरकल्पमध्यस्थितचतुर्लक्षजिनलायजिनबिम्ब समूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ:…