06. लताभूमि पूजा
पूजा नं.—5 लताभूमि पूजा अथ स्थापना—शंभु छंद निज आत्मसुधारस निर्झरिणी, जल पीकर अतिशय तृप्त हुये। वे ही निजकर्म कालिमा को, धोकर के अतिशय शुद्ध हुये।। उनका ही धनपति समवसरण, रचते हैं अतिशय भक्ती से। उस लताभूमि वैभव संयुत, जिनवर को पूजूँ भक्ती से।।१।। ॐ ह्रीं लतावनभूमिमंडितसमवसरणस्थितचतुा\वशतितीर्थंकरसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं लतावनभूमिमंडितसमवसरणस्थितचतुा\वशतितीर्थंकरसमूह! अत्र…