03. बड़ी जयमाला
बड़ी जयमाला -दोहा- घाति चतुष्टय घातकर प्रभु तुम हुए कृतार्थ। नव केवल लब्धीरमा, उसको किया सनाथ।।१।। -शेरछंद- प्रभु दर्शमोहनीय को निर्मूल किया है। सम्यक्त्व क्षायिकाख्य को परिपूर्ण किया है।। चारित्र मोहनीय का विनाश जब किया। क्षायिक चरित्र नाम यथाख्यात को लिया।।२।। संपूर्ण ज्ञानावर्ण का जब आप क्षय किया। कैवल्य ज्ञान से त्रिलोक…