चतुर्थ वलय की पूजा अथ स्थापना
चतुर्थ वलय की पूजा अथ स्थापना -गीताछंद- जिन जन्म के अतिशय सहज१ दश विश्व में विख्यात हैं। जो तीर्थकर्ता के अपूरब, पुण्य के फल ख्यात हैं।। मैं नित्य जिनगुण संपदा को, पूजहूँ अति चाव से। आह्वान करके अर्चना विधि, मैं करूँ अति भाव से।।१।। ॐ ह्रीं अर्हं दशसहजातिशयजिनगुणसंपत् समूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ…