अर्हन्त पूजा
पूजा नं0 2 अर्हन्त पूजा -स्थापना-गीताछन्द- अरिहंत प्रभु ने घातिया को, घात निज सुख पा लिया। छ्यालीस गुण के नाथ अठरह, दोष का सब क्षय किया।। शत इन्द्र नित पूजें उन्हें, गणधर मुनी वंदन करें। हम भी प्रभो! तुम अर्चना, के हेतु अभिनंदन करें।।1।। णमोअरिहंताणं श्री अर्हत्परमेष्ठि समूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्नाननं। णमोअरिहंताणं श्री…