03. समवसरण पूजा
पूजा नं.—1 समवसरण पूजा अथ स्थापना—शंभु छंद रत्नों के खंभों पर सुस्थित, मुक्तामालाओं से सुंदर। श्री मंडपभूमि आठवीं है, द्वादशगण रचना से मनहर।। इनमें जो मुनी आर्यिका हैं, हम उनका वंदन करते हैं। इन समवसरण युत जिनवर का, आह्वानन कर हम यजते हैं।। ॐ ह्रीं श्रीसमवसरणविभूतिधारकचतुर्विंशतितीर्थंकरसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …