विषापहार विधान
विषापहार विधान 01. नवदेवता पूजन 02. श्री विषापहार विधान 03. अत्र विषापहार पूजा
विषापहार विधान 01. नवदेवता पूजन 02. श्री विषापहार विधान 03. अत्र विषापहार पूजा
अत्र विषापहार पूजा -स्थापना- तर्ज- गोम्मटेश जय गोम्मटेश मम हृदय विराजो:… ऋषभदेव जय ऋषभदेव, मम हृदय विराजो-२ हम यही भावना भाते हैं, प्रतिक्षण ऐसी रुचि बनी रहे। हो रसना पर ऋषभाय नम:, पूजा में प्रीति घनी रहे।।हम.।। हे ऋषभदेव आवो आवो, आह्वान आपका करते हैं। युगस्रष्टा प्रभु की भक्तीकर, नित नित…
श्री विषापहार विधान (वंदना) -शंभु छंद- स्वात्मा में सुस्थित होकर जो, निज तनु प्रमाण आकार धरें। फिर भी निज ज्ञान किरण से ही, सब जानें त्रिभुवन व्याप्त करें।। ऐसे प्रभु ऋषभदेव आदी-ब्रह्मा, युगस्रष्टा माने हैं। उनके श्रीचरण कमल प्रणमूँ, वे भव भव के दु:ख हाने हैं।।१।। जो भूत भविष्यत् वर्तमान, त्रैकालिक तीर्थंकर माने। जो हुये…
श्री नेमिनाथ पूजा -अथ स्थापना- (तर्ज-करो कल्याण आतम का……) नमन श्री नेमि जिनवर को, जिन्होंने स्वात्मनिधि पायी। तजी राजीमती कांता, तपो लक्ष्मी हृदय भायी।। करूँ आह्वान हे भगवन्! पधारो मुझ मनोम्बुज में। करूँ…
भगवान नेमिनाथ विधान -मंगलाचरण- राजीमतिं परित्यज्य, महादयार्द्रमानस:। लेभे सिद्धिवधूं सिद्ध्यै, नेमिनाथ! नमोऽस्तु ते।। शार्दूलविक्रीडित छंद- यावन्नो प्रभवेच्च नेमि भगवन्!…
महावीर समवसरण विधान महावीर वंदना वसंततिलकाछंद- सिद्धार्थराजकुलमण्डनवीरनाथः। जातः सुकुण्डलपुरे त्रिशलाजनन्यां।। सिद्धिप्रियः सकलभव्यहितंकरो यः। श्रीसन्मतिर्वितनुतात् किल सन्मतिं मे।।१।। कैवल्यबोधरविदीधितिभिःसमन्तात् । दुष्कर्मपंकिलभुवं किल शोषयन् यः।। भव्यस्य चित्तजलज-प्रविबोधकारी। तं सन्मतिं सुरनुतं सततं स्तवीमि।।२।। पावापुरे सरसि पद्मयुते मनोज्ञे। योगं निरुध्य खलु कर्म वनं ह्यधाक्षीत् ।। लेभे सुमुक्तिललना-मुपमाव्यतीताम्। भेजे त्वनन्तसुखधाम नमोऽस्तु तस्मै।।३।। शिखरिणीछंद- …