45. कुण्डलगिरि पश्चिमदिक् जिनालय पूजा
(पूजा नं.45) कुण्डलगिरि पश्चिमदिक् जिनालय पूजा —अथ स्थापना—चौबोल छन्द— (चाल—मेरी भावना) द्बीप ग्यारवें मध्य कनकमय, कुंडल पर्वत शोभ रहा । तुंग शिखर पर पश्चिम दिश में , जिनमंदिर मन मोह रहा।। पंच परावर्तन से विरहित, श्रीजिन की प्रतिमा नित हैं। आह्वानन स्थापन सन्निधकरण विधी से पूजत हैं।।१।। ॐ ह्रीं श्रीकुण्डलपर्वतस्योपरि पश्चिमदिक्सिद्धकूटजिनालयस्थजिनबिम्ब-समूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं।…