35. मानुषोत्तर पर्वत पूर्वदिक् जिनालय पूजा
(पूजा नं.35) मानुषोत्तर पर्वत पूर्वदिक् जिनालय पूजा —अथ स्थापना—गीता छन्द— वरद्वीप सोलह लाख योजन, नाम पुष्कर जानिये। इस मध्य चूड़ी के सदृश नग मानुषोत्तर मानिये।। इस पे चतुर्दिश चार अनुपम, सासते जिनगेह हैं। थापूँ यहां पूरब दिशा, जिनगेह जिन धर नेह हैं।।१।। ॐ ह्रीं श्रीपुष्करद्वीपमध्यस्थितमानुषोत्तरपर्वतसंबंधिपूर्वदिक्सिद्धकूट-जिनालयस्थजिनबिम्बसमूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीपुष्करद्वीपमध्यस्थितमानुषोत्तरपर्वतसंबंधिपूर्वदिक्सिद्धकूट-जिनालयस्थजिनबिम्बसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ…