25. मन्दरमेरु संबंधि सोलह वक्षार जिनालय पूजा
(पूजा नं.25) मन्दरमेरु संबंधि सोलह वक्षार जिनालय पूजा अथ स्थापना—गीता छंद मंदरगिरी के पूर्व पश्चिम, सीत सीतोदा बहें। उनके उभय तट की तरफ, वक्षार सोलह हैं कहें।। स्वर्णाभतनु गिरि पे जिनेश्वर, भवन सोलह जानिये। आह्वानना करके सदा, जिनदेव पूजन ठानिये।।१।। ॐ ह्रीं श्रीमंदरमेरुसंबंधिषोडशवक्षारपर्वतस्थितसिद्धकूटजिनालयस्थ-जिनबिम्बसमूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीमंदरमेरुसंबंधिषोडशवक्षारपर्वतस्थितसिद्धकूटजिनालयस्थ-जिनबिम्बसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ:…