15. अचलमेरु जिनालय पूजा
(पूजा नं.15) अचलमेरु जिनालय पूजा —अथ स्थापना—रोला छंद— (चाल-अहो जगत गुरुदेव….) द्वीपधातकी खंड, अपर दिश मध्य सुहानो। मेरु अचल महान, सोलह जिनगृह मानो।। चउरासी सुहजार, योजन तुंग कहा है। जिनवर के अभिषेक, जल से शुद्ध कहा है।।१।। —सोरठा— सोलह मंदिर माहिं , जिनप्रतिमा को पूजने। आह्वानन विधि सार, करके मैं थापूं यहाँ।।२।। ॐ ह्रीं श्रीअचलमेरुसंबंधिषोडशजिनालयस्थजिनबिम्बसमूह!…