05 सुदर्शनमेरु संबंधी जंबूवृक्ष शाल्मलिवृक्ष जिनालय पूजा
(पूजा नं.5 ) सुदर्शनमेरु संबंधी जंबूवृक्ष शाल्मलिवृक्ष जिनालय पूजा अथ स्थापना—गीताछन्द गिरि मेरु के उत्तर दिशी उत्तरकुरू शोभे अहा। उसमें सुदिक् ईशान के जंबूतरू राजे महा।। दक्षिण दिशा में देवकुरु नैऋत्य कोण सुहावनी। तरु शाल्मलि शुभरत्नमय, सुन्दर दिखे शाखा घनी।।१।। —दोहा— दोनों तरु की शाख पर, दो श्री जिनवर गेह। आह्वानन कर मैं जजूूँ, सदा…