10. केतुग्रहारिष्ट निवारक श्रीपार्श्वनाथ जिनेन्द्र पूजा
केतुग्रहारिष्ट निवारक श्रीपार्श्वनाथ जिनेन्द्र पूजा स्थापना-गीता छंद तर्ज-आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं……… चलो सभी मिल पूजन कर लें, पार्श्वनाथ भगवान की। केतू ग्रह की बाधा हरने, वाले प्रभू महान…
केतुग्रहारिष्ट निवारक श्रीपार्श्वनाथ जिनेन्द्र पूजा स्थापना-गीता छंद तर्ज-आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं……… चलो सभी मिल पूजन कर लें, पार्श्वनाथ भगवान की। केतू ग्रह की बाधा हरने, वाले प्रभू महान…
राहुग्रहारिष्ट निवारक श्रीनेमिनाथ जिनेन्द्र पूजा स्थापना-अडिल्लछन्द बाइसवें तीर्थंकर नेमीनाथ हैं। इनके तप की कथा जगत विख्यात है।। राहू ग्रह की शांति हेतु मैं पूजहूँ। आह्वानन स्थापन विधि से मैं जजूँ।। ॐ ह्रीं राहुग्रहारिष्टनिवारक श्रीनेमिनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं राहुग्रहारिष्टनिवारक श्रीनेमिनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं। ॐ ह्रीं राहुग्रहारिष्टनिवारकश्रीनेमिनाथ जिनेन्द्र! अत्र मम…
शनिग्रहारिष्ट निवारक श्रीमुनिसुव्रतजिनेन्द्र पूजा स्थापना-गीता छंद मुनिसुव्रतेश जिनेन्द्र की, हम सब करें आराधना। शनिग्रह अरिष्ट विनाश हेतू, भक्ति से हो साधना।। शनिवार को प्रभु निकट में, विधिवत् करें यदि अर्चना। तो सत्य ही दुख दूर होकर, पूर्ण होगी प्रार्थना।।१।। -दोहा- पूजा के प्रारंभ में, आह्वानन इत्यादि। स्थापन सन्निधिकरण, की विधि कही अनादि।।२।। ॐ ह्रीं शनिग्रहारिष्टनिवारक…
शुक्रग्रहारिष्ट निवारक श्री पुष्पदन्तनाथ पूजा स्थापना-शंभु छंद हे पुष्पदन्त भगवान् पुष्प तव, चरणों में जब चढ़ता है। पूजन की विधि में सर्वप्रथम, स्थापन कर वह कहता है।। हो गया जन्म सार्थक मेरा, प्रभुपद में जब स्थान मिला। मैं धूल में गिरकर मिट जाता, लेकिन यह तो सौभाग्य खिला।।१।। -दोहा- आह्वानन स्थापना, सन्निधिकरण प्रधान। पुष्पदन्त की…
गुरुग्रहारिष्ट निवारक श्री महावीर जिनेन्द्र पूजा -स्थापना- तर्ज-आने से जिसके आए बहार…….. दर्शन से जिनके कटते हैं पाप, पूजन से मिटते हैं गुरुग्रह ताप, मूरत सुहानी है-तेरी महावीरा, छवि जगन्यारी…
बुधग्रह अरिष्ट निवारक श्री मल्लिनाथ पूजा -स्थापना- तर्ज-मेरे मन मन्दिर में आन……….. मेरे हृदय महल में आन, पधारो मल्लिनाथ भगवान।। आओ तिष्ठो नाथ! विराजो मण्डल ऊपर प्रभु तुम राजो।। बुधग्रह की बाधा हो हान, पधारो मल्लिनाथ भगवान।। ॐ ह्रीं बुधग्रहारिष्टनिवारकश्रीमल्लिनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं बुधग्रहारिष्टनिवारकश्रीमल्लिनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं। ॐ…
मंगलग्रह अरिष्ट निवारक श्री वासुपूज्य पूजा स्थापना-दोहा- वासुपूज्य जिनराज की, करूँ थापना आज। मंडल पर तिष्ठो प्रभो, पूरो मेरे काज।। ॐ ह्रीं मंगलग्रहारिष्टनिवारकश्रीवासुपूज्य जिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं मंगलग्रहारिष्टनिवारकश्रीवासुपूज्य जिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं। ॐ ह्रीं मंगलग्रहारिष्टनिवारकश्रीवासुपूज्य जिनेन्द्र! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधीकरणं स्थापनं। अष्टक-शंभुछंद जल का स्वभाव…
चन्द्रग्रह अरिष्ट निवारक श्री चन्द्रप्रभ पूजा स्थापना -गीताछंद- चन्दाकिरण समश्वेत चन्द्रप्रभु जिनेन्द्र समर्चना। शशिग्रह अरिष्ट विनाश हेतू, मैं करूँ अभ्यर्थना।। आओ विराजो नाथ मन-मन्दिर मेरा यह रिक्त है। बस भावना है प्रमुख मेरी, द्रव्य तो अतिरिक्त है।।१।। ॐ ह्रीं चन्द्रग्रहारिष्टनिवारकश्रीचन्द्रप्रभ जिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं चन्द्रग्रहारिष्टनिवारकश्रीचन्द्रप्रभ जिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः…
सूर्यग्रह अरिष्ट निवारक श्री पद्मप्रभ पूजा -स्थापना- दोहा-ग्रह अरिष्ट यदि सूर्य हो, पूजो पद्मजिनेन्द्र। कर्म असाता दूर हों, पा जाऊँ सुखसिन्धु।। ॐ ह्रीं सूर्यग्रहारिष्टनिवारकश्रीपद्मप्रभ जिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं सूर्यग्रहारिष्टनिवारकश्रीपद्मप्रभ जिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं। ॐ ह्रीं सूर्यग्रहारिष्टनिवारकश्रीपद्मप्रभ जिनेन्द्र! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधीकरणं स्थापनं। (अष्टक) नंदीश्वर पूजन…
नवग्रह पूजा समुच्चय पूजा (स्थापना) -कुसुमलता छंद- काल अनादी से कर्मों के, ग्रह ने मुझे सताया है। उनका निग्रह करने का अब, भाव हृदय में आया है।। इसीलिए ग्रह शान्ती हेतू, पूजा पाठ रचाया है। तीर्थंकर प्रभु के अर्चन को, मैंने थाल सजाया है।।१।। -दोहा- आह्वानन स्थापना, सन्निधिकरण महान। अष्टद्रव्य से पूर्व है, यह विधि…