सर्वतोभद्र वंदना (बड़ी जयमाला)
सर्वतोभद्र वंदना (बड़ी जयमाला) शंभु छंद जय त्रिभुवन के ज्ञाता दृष्टा, तीर्थंकर त्रिभुवन के स्वामी। जय परमपिता सुख के स्रष्टा, जय त्रिभुवन गुरु अंतर्यामी।। मैं प्रभु के चरण कमल वंदूँ, नित हाथ जोडत्रकर शिर नाऊँ। तुम नाममंत्र को हृदय धरूँ, तुम प्रतिमा वंदूँ शिखर नाऊँ।।१।। जय अधोलोक के सात करोड़, बहत्तर लाख जिनालय हैं। जय…