भगवान महावीर परिचय (आर्यिका चंदनामति माता जी द्वारा)
भगवान महावीर परिचय (आर्यिका चंदनामति माता जी द्वारा)
भगवान महावीर परिचय (आर्यिका चंदनामति माता जी द्वारा)
पूजा नं.-92 सानत्कुमार माहेन्द्र स्वर्ग जिनालय पूजा अथ स्थापन-नरेन्द्र छंद सानत्कुमार दिव में बारह लाख जिनालय शोभें। दिव माहेन्द्र कल्प में जिनगृह आठ लाख मन लोभें।। ये सब शाश्वत रत्नमयी हैं पूजूँ भक्ति बढ़ाके। आह्वानन स्थापन करके नमूूँ नमूँ रुचि लाके।।१।। ॐ ह्रीं सानत्कुमारमाहेन्द्रकल्पयुगलमध्यस्थितिंवशतिलक्षजिनलायजिनबिम्ब समूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं सानत्कुमारमाहेन्द्रकल्पयुगलमध्यस्थितिंवशतिलक्षजिनलायजिनबिम्ब समूह! अत्र तिष्ठ…
पूजा नं.-91 सौधर्म ऐशान जिनालय पूजा अथ स्थापन-गीता छंद सौधर्म अरु ऐशान में सब साठ लाख विमान हैं। सबमें जिनेश्वर धाम अनुपम सासते अभिराम हैं।। प्रत्येक में जिनबिंब इक सौ आठ-आठ विराजते। पूजूँ यहाँ आह्वान कर ये स्वात्मसिद्धि करावते।।१।। ॐ ह्रीं सौधर्मैशानकल्पयुगलषष्टिलक्ष विमानस्थितजिनलायजिनबिम्ब समूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं सौधर्मैशानकल्पयुगलषष्टिलक्ष विमानस्थितजिनलायजिनबिम्ब समूह! अत्र तिष्ठ…
पूजा नं.-90 वैमानिक देव जिनालय पूजा अथ स्थापन-शंभु छंद ऊर्ध्वलोक में वैमानिक की चिमान संख्या मानी है। चौरासि लाख सत्तानवे हजार तेइस मानी है।। इन सब में एक एक जिन गृह शाश्वत मणिमय सुर वंदित हैं। इन सब में इकसौ आठ-आठ जिन प्रतिमा पूजूँ शिवप्रद हैं।।१।। ॐ ह्रीं ऊर्ध्वलोके वैमानिकदेव विमानस्थितचतुरशीतिलक्षसप्तनवतिसहस्रत्रयोिंवशति जिनलायजिनबिम्ब समूह! अत्र अवतर-अवतर…
पूजा नं.-89 प्रकीर्णक तारका जिनालय पूजा अथ स्थापन-गीता छंद एकेक शशि के प्रकीर्णक, तारे चमकते गगन में। छ्यासठ सहस नौ सौ पचहत्तर कोटिकोटी अधर में।। ये अर्ध गोलक सम इन्हों के, मध्य ऊँचे कूट हैं। उन पर जिनेश्वर धाम पूजूँ, जैन प्रतिमा युक्त हैं।।१।। ॐ ह्रीं मध्यलोके प्रकीर्णकतारा विमानस्थितसंख्यातीतजिनालयजिनबिम्ब समूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ…
पूजा नं.-88 नक्षत्र जिनालय पूजा अथ स्थापन-गीता छंद एकेक शशि के नखत अट्ठाईस नभ में चमकते। सब अर्ध गोलक सदृश निचले भाग से ही दमकते।। इन सब विमानन मध्य स्वर्णिम कूट पर जिनधाम हैं। पूजूँ जिनेश्वर बिंब मैं आह्वान कर इत ठाम हैं।।१।। ॐ ह्रीं मध्यलोके नक्षत्र विमानस्थितसंख्यातीतजिनालयजिनबिम्ब समूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं…
पूजा नं.-87 ग्रह जिनालय पूजा अथ स्थापन-शंभु छंद एकेक चंद्र के अट्ठासी-अट्ठासी ग्रह श्रुत में माने। ये ज्योतिर्वासी देव अर्ध गोलक विमान में सरधाने।। इन सब विमान में दिव्यकूट उन पर शाश्वत जिनमंदिर हैं। जिन प्रतिमा इकसौ आठ-आठ, जिन वंदन करें मुनीश्वर हैं।। ॐ ह्रीं मध्यलोके ग्रह विमानस्थितसंख्यातीतजिनालयजिनबिम्ब समूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं…
पूजा नं.-86 सूर्य जिनालय पूजा अथ स्थापन-गीता छंद इस प्रथम जंबू द्वीप में दो सूर्य दिन दिन चमकते। ये ढाईद्वीपों तक सु इक सौ बत्तिसे दिनकर दिपें।। ये अर्ध गोलक सम सभी भास्कर विमान प्रकाशते। इन मध्य जिनमंदिर जजूँ ये आत्म ज्योति प्रकाशते।।१।। ॐ ह्रीं मध्यलोके सूर्य विमानस्थितसंख्यातीतजिनालयजिनबिम्ब समूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ…
पूजा नं.-85 चंद्रमा जिनालय पूजा अथ स्थापन-नरेन्द्र छंद जंबु दीप लवणोदधि से ले, असंख्यात द्वीपोदधि। अंतिम जलधि स्वयंभूरमणं, तक पैले ये ज्योतिषि।। चंद्र इंद्र हैं ये भी संख्यातीत कहाये जग में। इनकें बिंबों के जिनगृह हो, पूजूँ रुचिधर मन में।।१।। ॐ ह्रीं मध्यलोके चंद्रविमानस्थितसंख्यातीतजिनालयजिनबिम्ब समूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं मध्यलोके चंद्रविमानस्थितसंख्यातीतजिनालयजिनबिम्ब समूह! अत्र…
पूजा नं.-84 ज्योतिष्कदेव जिनालय पूजा अथ स्थापन-शंभू छंद पृथ्वी से सात शतक नब्बे, योजन ऊपर ज्योषिक सुर हैं। रवि शशि ग्रह नखत और तारे, ये पाँच भेद ज्योतिष सुर हैं।। सबके विमान में जिनमंदिर, मणिमय शाश्वत जिनप्रतिमायें। उनको आह्वानन कर पूजूँ, ये मोक्षमार्ग को दिखलायें।।१।। ॐ ह्रीं ज्योतिष्कदेवविमानस्थितसंख्यातीतजिनालयजिनबिम्ब समूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं…