श्री पार्श्वनाथ विधान
श्री पार्श्वनाथ विधान 1. नवदेवता पूजन 02. श्रीपार्श्वनाथ वंदना 03. श्री पार्श्वनाथ पूजा
श्री पार्श्वनाथ विधान 1. नवदेवता पूजन 02. श्रीपार्श्वनाथ वंदना 03. श्री पार्श्वनाथ पूजा
श्री पार्श्वनाथ पूजा अथ स्थापना (तर्ज-गोमटेश जय गोमटेश मम हृदय विराजो……..) पार्श्वनाथ जय पार्श्वनाथ, मम हृदय विराजो-२ हम यही भावना भाते हैं, प्रतिक्षण ऐसी रुचि बनी रहे। हो रसना में प्रभु नाममंत्र, पूजा में प्रीती घनी रहे।।हम०।। हे पार्श्वनाथ आवो आवो, आह्वान आपका करते हैं। हम भक्ति आपकी कर करके, सब दुख संकट को हरते…
श्रीपार्श्वनाथ वंदना (उपजातिछंदः) कल्याणकल्पद्रुमसारभूतं, चिंतामणिं चिंतितदानदक्षम्। श्रीपार्श्वनाथस्य सुपादपद्मं, नमामि भक्त्या परया मुदा च।।१।। ध्याने स्थितो यो बहिरंतरंगं, त्यक्त्वोपधिं तत्र तदा जिनस्य। मातामहः स्यात् कमठासुरोऽसौ, अभूत् कुदेवः कुतपोऽभिरेव।।२।। रुद्धं विमानं पथि गच्छतो हा! ध्यानस्थपार्श्वं प्रविलोक्य रुष्ट्वा। शत्रुं च मत्वा कृतभीमरूपो, धाराप्रपातैः स चकार वृष्टिं।।३।। चकास्ति विद्युत् दशदिक्षु पिंगा, वात्या महद्ध्वांतमयं च कालं। घनाघनो गर्जति घोररावैः, प्रचंडवातैः…
नवदेवता पूजन गीता छन्द अरिहंत सिद्धाचार्य पाठक, साधु त्रिभुवन वंद्य हैं। जिनधर्म जिनआगम जिनेश्वरमूर्ति जिनगृह वंद्य हैं।। नव देवता ये मान्य जग में, हम सदा अर्चा करें। आह्वान कर थापें यहां मन में अतुल श्रद्धा धरें।। ॐ ह्रीं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुजिनधर्मजिनागमजिन-चैत्यचैत्यालय समूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुजिनधर्मजिनागमजिन-चैत्यचैत्यालय समूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं।…
श्री नमिनाथ तीर्थंकर विधान 01. श्री अर्हंत पूजा 02. श्री नमिनाथ तीर्थंकर पूजा
पूजा नं. 2 श्री नमिनाथ तीर्थंकर पूजा -अथ स्थापना-गीता छंद- नमिनाथ के गुणगान से, भविजन भवोदधि से तिरें। मुनिगण तपोनिधि भी हृदय में, आपकी भक्ती धरें।। हम भी करें आह्वान प्रभु का, भक्ति श्रद्धा से यहाँ। सम्यक्त्व निधि मिल जाय स्वामिन्! एक ही वांछा यहाँ।।१।। ॐ ह्रीं श्रीनमिनाथतीर्थंकर! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं…
पूजा नं. 1 श्री अर्हंत पूजा स्थापना—गीता छंद अरिहंत प्रभु ने घातिया को घात निज सुख पा लिया। छ्यालीस गुण के नाथ अठरह दोष का सब क्षय किया।। शत इंद्र नित पूजें उन्हें गणधर मुनी वंदन करें। हम भी प्रभो! तुम अर्चना के हेतु अभिनन्दन करें।।१।। ॐ ह्रीं अर्हन् नम: हे अर्हत्परमेष्ठिन्! अत्र अवतर अवतर…
01. अथ यागमंडलवर्तन विधान 02. यागमण्डल पूजा 03. अथ अष्टदलस्थापितजयादिदेवतार्चना 04. जलहोम-विधानम्
जलहोम-विधानम् जलहोम कुंड भी तीर्थंकर कुंड के समान चौकोन बनावें, या बालू से चौकोन 2 ² 2 या 1 (1/2) 2 1/2 फुट का चबूतरा बनाकर उसमें चारों तरफ तीन कटनी बनावें, उसके पश्चिम में दो कुंभ स्थापित करें। तत्रादौ तावत्संकल्पपूर्वकपुण्याहवाचनं कुर्यात्। (शांतिहोम से पुण्याहवाचन से लेकर ‘‘मौनव्रतं गृण्हामि’’ पर्यंत क्रम विधि करके पुन: आगे…