14. पूजा नं.-13
पूजा नं.-13 जो भव्य मुनिगण वंद्य ऋषभेश्वर चरण को वंदते। वे निज अनंतानंत जन्मों के अघों को खंडते।। इस हेतु से हम भक्ति श्रद्धा भाव से प्रभु को जजें। आह्वान विधि से पूज कर निज आत्म समरस को चखें।। ॐ ह्रीं श्रीऋषभदेवस्य त्रिकालदर्श्यादिशतनाममंत्रसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीऋषभदेवस्य त्रिकालदर्श्यादिशतनाममंत्रसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ…