04. आठगुण सहित प्रथम पूजा
पूजा नं.—1 आठगुण सहित प्रथम पूजा अथ स्थापना (तर्ज—तुमसे लागी लगन…) नाथ! त्रिभुवनपती, पाई पंचमगती, इन्द्र आये। भक्ति से आपको शिर झुकायें।।टेक.।। आठ कर्मों को तुमने विनाशा, आठ गुण को स्वयं में प्रकाशा। मारा यमराज को, पाया शिवराज्य को, भव मिटाये। इन्द्र सब मिलके उत्सव मनायें।।नाथ.।।१।। आपमें गुण अनंतों भरे हैं, आप मुक्तीरमा को वरें…