9.22‘‘तिलोगणाहेिंह तिलोगबुद्धेिंह तिलोगदरसीिंह।’’
‘‘तिलोगणाहेिंह तिलोगबुद्धेिंह तिलोगदरसीिंह।’’ सामान्य लोक अमृतवर्षिणी टीका— सर्वज्ञ भगवान से अवलोकित अनन्तानन्त अलोकाकाश के बहुमध्य भाग में ३४३ राजु प्रमाण पुरुषाकार लोकाकाश है। यह लोकाकाश जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म और काल इन पाँचों द्रव्यों से व्याप्त है। अनादि अनन्त है। इस लोक के तीन भेद हैं-अधोलोक, मध्यलोक और ऊर्ध्वलोक। सम्पूर्ण लोक की ऊँचाई १४ राजुप्रमाण…