04. जयमाला
जयमाला भक्तामर के अधिपति जिनवर की, पूजन से शिवद्वार मिले। पुरुदेव युगादिपुरुष के अर्चन, से सुख का भंडार मिले।। गर्भागम के छह मास पूर्व, रत्नों की वृष्टि हुई नभ से। माता मरुदेवी नाभिराय भी, अपना जन्म धन्य समझे।। जनता ने जयजयकार किया, साकेतपुरी के भाग्य खिले। भक्तामर के अधिपति जिनवर की, पूजन से शिवद्वार मिले।।१।।…