9-13 ‘‘आइरियपदे उवज्झायपदे साहुपदे।’’
‘‘आइरियपदे उवज्झायपदे साहुपदे।’’ अमृतवर्षिणी टीका— दिगम्बर मुनियों में मुख्यरूप से आचार्य, उपाध्याय और साधु ये तीन भेद होते हैं। इन तीनों का संक्षिप्त लक्षण देखिये- आचार्य परमेष्ठी-‘‘जो पाँच प्रकार के आचारों का स्वयं आचरण कहते हैं और दूसरे साधुओं से आचरण कराते हैं वे ‘आचार्य’ कहलाते हैं। जो चौदह विद्याओं के पारंगत, ग्यारह अंग के…