8.(5.2)चौबीस तीर्थंकर जीवन दर्शन
चौबीस तीर्थंकर जीवन दर्शन (यह चौबीसों तीर्थंकर का परिचय वीर नि. सं. २५४० में लिखा गया है अत: सभी में यही संवत् दिया गया है।) सिद्धे: कारणमुत्तमा जिनवरा, आर्हन्त्यलक्ष्मीवरा:। मुख्या ये रसदिग्युता गुणभृतस्त्रैलोक्यपूजामिता:।। चित्ताब्जं प्रविकासयंतु मम भो ! ज्योति:प्रभा भास्करा:। तीर्थेशा वृषभादिवीरचरमा: कुर्वंतु नो मंगलम्।।१।। अर्थ—सिद्धिप्रिया को प्राप्त कराने में कारणस्वरूप उत्तम जिनेन्द्र भगवान अर्हन्त…