08 जैन पर्व
जैन पर्व सोलहकारण पर्व- श्रेयोमार्गानभिज्ञानिह भवगहने जाज्ज्वलद्दु:खदाव- स्कन्धे चंक्रम्यमाणानतिचकितमिमानुद्धरेर्यं वराकान्।। इत्यारोहत्परानुग्रहरसविलसद्भावनोपात्तपुण्यप्रक्रा – न्तैरेव वाक्यै: शिवपथमुचितान् शास्ति योऽर्हन् स नोऽव्यात्१।।१।। अर्थ-इस संसाररूपी भीषण वन में दु:खरूपी दावानल अग्नि अतिशय रूप से जल रही है। जिसमें श्रेयोमार्ग-अपने हित के मार्ग से अनभिज्ञ हुए ये बेचारे प्राणी झुलसते हुए अत्यंत भयभीत होकर इधर-उधर भटक रहे हैं। ‘‘मैं…