समाधि द्वारा-आर्यिका सुद्रष्टिमति माताजी प्र. ९२० : मृत्यु के चार द्वार कौनसे हैं? उत्तर : अनुचित कार्यों का प्रारम्भ करना यह मृत्यु का पहला द्वार है। ऐसा कार्य करना ही क्यों जिससे आपदायें स्वयं ही घर बनाकर बैठ जायें। अतः जो काम समाज व धर्म के विरोधी होते हैं, उन्हें करना ही नहीं चाहिये। मृत्यु…
आगम द्वारा-आर्यिका सुद्रष्टिमति माताजी प्र. ७५७ श्रुत को जानने का फल क्या है? उत्तर :”श्रुतस्य विनयो” यदि शास्त्रों का ज्ञान बढ़ता है तो शास्त्रों और पढ़ाने वाले गुरुजनों के प्रति विनय भी बढ़ना चाहिये। विद्याददाति विनयं। विद्या तो विनय ही सिखाती है। जैसे फलों के भार से वृक्षों की डालियाँ झुकती जाती हैं वैसे ही…
महापुरुष द्वारा-आर्यिका सुद्रष्टिमति माताजी प्र. ६३३ : शलाका पुरुष मरकर कौन, कहाँ जाते हैं? समझाइये। उत्तर : तीर्थंकर आयु पूर्ण होने पर मरकर मोक्ष जाते हैं। चक्रवर्ती परिणामानुसार स्वर्ग, नरक या मोक्ष जाते हैं। बलभद्र मरकर स्वर्ग या मोक्ष जाते हैं। परन्तु अवशिष्ट बचे हुये नारायण सभी और प्रतिनारायण समते हम यह प्रयाण करते हैं।…
महापुरुष द्वारा-आर्यिका सुद्रष्टिमति माताजी प्र. ६३३ : शलाका पुरुष मरकर कौन, कहाँ जाते हैं? समझाइये। उत्तर : तीर्थंकर आयु पूर्ण होने पर मरकर मोक्ष जाते हैं। चक्रवर्ती परिणामानुसार स्वर्ग, नरक या मोक्ष जाते हैं। बलभद्र मरकर स्वर्ग या मोक्ष जाते हैं। परन्तु अवशिष्ट बचे हुये नारायण सभी और प्रतिनारायण सभी नियम से नरक में ही…