29. विद्युन्माली मेरु सम्बन्धी चार गजदंत जिनालय पूजा
(पूजा नं.29) विद्युन्माली मेरु सम्बन्धी चार गजदंत जिनालय पूजा —अथ स्थापना—अडिल्ल छंद— अपर द्वीप पुष्कर में, सुरगिरि पांचवों। ताके विदिशा नागदंत चउ जानवों।। तापे शाश्वत जिनमंदिर शिव द्वार हैं। आह्वानन कर जजत, मिले भव पार है।।१।। ॐ ह्रीं श्रीविद्युन्मालीमेरुसंबंधिचतुर्गजदंतसिद्धकूटजिनालयस्थजिन-बिम्बसमूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीविद्युन्मालीमेरुसंबंधिचतुर्गजदंतसिद्धकूटजिनालयस्थजिन-बिम्बसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनम्। ॐ ह्रीं श्रीविद्युन्मालीमेरुसंबंधिचतुर्गजदंतसिद्धकूटजिनालयस्थजिन-बिम्बसमूह!…