ज्ञानामृत पताका
ज्ञानामृत पताका -शंभु छंद- तीर्थंकर दिव्यध्वनि प्रतीक, जिनवाणी माँ को नमन करूँ। ब्राह्मी से चन्दनबाला तक, सब गणिनी माता को भी नमूँ।। उनकी प्रतिकृति गणिनी माता, श्री ज्ञानमती जी को वन्दूँ। अज्ञान तिमिर को दूर भगा, मैं सम्यग्ज्ञान प्राप्त कर लूँ।।१।। -दोहा- ज्ञानपताका मैं लिखूँ, निज मन निर्मल हेत। पढ़ने वालों को मिले, ज्ञानामृत की…