सुध-बुध भूल गईं। देर दिन चढ़ने तक वह प्रभु की भक्ति में ही लीन रहीं, तब ध्यान तोड़ा गुलाब ने। माँ! घर चलो, बहुत देर हो गई, मुझे भूख लगी है। भक्ति का आनंद वहीं छोड़कर भागू बेटे के साथ घर आ गई। दिवस और रात्रि के स्वर्णिम क्षण बीतने लगे। अब तो भाग्यवती प्रतिदिन…