ज्योतिष्क विमानों की किरणों का प्रमाण
ज्योतिष्क विमानों की किरणों का प्रमाण सूर्य एवं चन्द्र की किरणें १२०००-१२००० हैं। शुक्र की किरणें २५०० हैं। बाकी सभी ग्रह, नक्षत्र एवं तारकाओं की मंद किरणें हैं।
ज्योतिष्क विमानों की किरणों का प्रमाण सूर्य एवं चन्द्र की किरणें १२०००-१२००० हैं। शुक्र की किरणें २५०० हैं। बाकी सभी ग्रह, नक्षत्र एवं तारकाओं की मंद किरणें हैं।
चार्ट नं-४ ज्योतिष्क देवों के बिम्बों का प्रमाण इन सभी विमानों की बाह्य (मोटाई) अपने-अपने विमानों के विस्तार से आधी-आधी मानी गयी है। राहु के विमान चन्द्र विमान के नीचे एवं केतु के विमान सूर्य विमान के नीचे रहते हैं अर्थात् ४ प्रमाणांगुल (२००० उत्सेधांगुल) प्रमाण ऊपर चन्द्र-सूर्य के विमान स्थित होकर गमन करते रहते…
सूर्य, चन्द्र आदि के विमानों का प्रमाण सूर्य का विमान योजन का है। यदि १ योजन में ४००० मील के अनुसार गुणा किया जाये तो ३१४७ मील का होता है एवं चन्द्रमा का विमान योजन अर्थात् ३६७२ मील का है। शुक्र का विमान १ कोश का है। यह बड़ा कोश लघु कोश से ५०० गुणा…
चार्ट नं-३ ज्योतिष्क देवों की पृथ्वी तल से ऊँचाई
ज्योतिष्क देवों की पृथ्वी तल से ऊँचाई का क्रम उपरोक्त ५ प्रकार के ज्योतिर्वासी देवों के विमान इस चित्रा पृथ्वी से ७९० योजन से प्रारम्भ होकर ९०० योजन की ऊँचाई तक अर्थात् ११० योजन में स्थित हैं। यथा—इस चित्रा पृथ्वी से ७९० योजन के ऊपर प्रथम ही ताराओं के विमान हैं। अनन्तर १० योजन जाकर…
ज्योतिर्लोक का वर्णन ज्योतिष्क देवों के भेद ज्योतिष्क देवों के ५ भेद हैं—१. सूर्य, २. चन्द्रमा, ३. ग्रह, ४. नक्षत्र, ५. तारा। इनके विमान चमकीले होने से इन्हें ज्योतिष्क देव कहते हैं। ये सभी विमान अर्धगोलक के सदृश हैं तथा मणिमय तोरणों से अलंकृत होते हुये निरन्तर देव-देवियों से एवं जिनमंदिरों से सुशोभित रहते हैं।…
गंगा देवी के श्रीगृह का वर्णन जहाँ गंगा नदी गिरती है वहाँ पर ६० योजन विस्तृत एवं १० योजन गहरा एक कुण्ड है। उसमें १० योजन ऊँचा वङ्कामय एक पर्वत है। उस पर गंगा देवी का प्रासाद बना हुआ है। उस प्रासाद की छत पर एक अकृत्रिम जिनप्रतिमा केशों के जटाजूट युक्त शोभायमान है। गंगा…
गंगा नदी का वर्णन पद्म सरोवर से गंगा नदी निकलकर पाँच सौ योजन पूर्व की ओर जाती हुई गंगा कूट के २ कोश इधर से दक्षिण की ओर मुड़कर भरत क्षेत्र में २५ योजन पर्वत से (उसे छोड़कर) यहाँ पर सवा छ: योजन विस्तीर्ण, आधा योजन मोटी और आधा योजन ही आयत वृषभकार जिह्विका (नाली)…
पद्म आदि सरोवर एवं देवियाँ (चार्ट नं.-२)
गंगा आदि नदियों के निकलने का क्रम पद्म सरोवर के पूर्व तट से गंगा नदी एवं पश्चिम तट से सिन्धु नदी निकली हैं। गंगा नदी पूर्व समुद्र में एवं सिन्धु नदी पश्चिम समुद्र में प्रवेश करती हैं। ये दोनों नदियाँ भरत क्षेत्र में बहती हैं। तथा इसी पद्म सरोवर के उत्तर तट से रोहितास्या नदी…