आचार्य श्री वीरसागर काव्य कथानक
(१) तर्ज-जिन्दगी इक सफर है…….. गुरुपद से है प्रीति लगाना। गुरुभक्ति के गीत है गाना।। सुन भाई, सुन भाई, सुन भाई…।।टेक.।। शान्तिसिन्धु आचार्य प्रवर। उनके पट्टाचार्य प्रवर।। वीरसागर जी का वर्ष सुहाना। गुरुभक्ति के गीत है गाना।। सुन भाई, सुन भाई, सुन भाई…।।१।। प्रान्त महाराष्ट्र में जन्म हुआ। वीर ग्राम तब उनसे धन्य हुआ।। भाग्यवती…