श्री ज्ञानमती माताजी की आरती(E)
श्री ज्ञानमती माताजी की आरती(E) तर्ज—जनम-जनम…….. आरति करने आये हम सब द्वार तिहारे ।।हाँ………।। भावों का यह दीप है जिसमें चमकें चाँद सितारे।। आरति.।।टेक.।। विषय भोग तज करके तुमने, गृहबन्धन को तोड़ा। प्रभु वाणी भज करके तुमने, जग से मुख को मोड़ा।। तभी तुम्हारे दर्शन करके, भक्त विघन सब टारें।। आरति……………………..।।१।। धन्य हुईं वे मोहिनि…