तीनलोक की आरती
तीनलोक की आरती -आर्यिका चन्दनामती तर्ज-तन डोले………(नागिन धुन) जय तीन लोक के जिनबिम्बों की मंगल दीपप्रजाल के, मैं आज उतारूँ आरतिया।। जिनबिम्बों के दर्शन से, सम्यग्दर्शन मिलता है। घृतदीपक से आरति करके, मोहतिमिर भगता है।।प्रभू जी मोह…… जिनमंदिर की, जिनप्रतिमा की, शुभ मंगल दीप प्रजाल के, मैं आज उतारूँ आरतिया।।१।। वसु कोटि सुछप्पन लाख सतानवे,…