शांतिभक्ति (हिन्दी पद्यानुवाद एवं मंत्र सहित)
शांतिभक्ति (हिन्दी पद्यानुवाद एवं मंत्र सहित) न स्नेहाच्छरणं प्रयान्ति भगवन् ! पादद्वयं ते प्रजा:। हेतुस्तत्र विचित्रदुःखनिचय:, संसारघोरार्णव:।। अत्यन्तस्फुरदुग्ररश्मिनिकर-व्याकीर्णभूमण्डलो। ग्रैैष्म: कारयतीन्दुपादसलिल-च्छायानुरागं रवि:।।१।। भगवन्! सब जन तव पद युग की, शरण प्रेम से नहिं आते। उसमें हेतु विविध दुःखों से, भरित घोर भववारिधि है।। अति स्फुरित उग्र किरणों से, व्याप्त किया भूमंडल है। ग्रीषम ऋतु रवि राग…