अनेकांत…..
अनेकांत…….. माधुरी-बहन श्रीकांता! आप स्वाध्याय खूब करती हैं बताइए, अनेकांत किसे कहते हैं? श्रीकांता-बहन! जैन धर्म का मूल सिद्धान्त अनेकांत ही है, इसलिए इसको समझना बहुत ही जरूरी है, सुनो, मैंने जितना समझा है, उतना तुम्हें समझाती हूँ। प्रत्येक वस्तु में अनेकों धर्म हैं। ‘‘अनैक अंता:धर्मा: यस्मिन् असौ अनेकांता:’’ जिसमें अनेकों अंत-धर्म पाये जाते हैं…