देवगति में गमन के कारण
देवगति में गमन के कारण असंयत, देश संयत मनुष्य और तिर्यंच उत्कृष्टपने से अच्युत स्वर्ग पर्यंत जाते हैं। तिलोयपण्णत्ति में तिर्यंचों का गमन उत्कृष्ट से बारहवें स्वर्ग तक ही माना है। द्रव्य से निर्ग्रंथ मुनि और भाव से असंयत, देश संयत या मिथ्यादृष्टि ऐसे साधु उपरिमग्रैवेयक तक जाते हैं। एवं भाव से सम्यग्दृष्टि महामुनि सवार्थसिद्धि…