मध्यलोक समान्य का नक्शा
मध्यलोक समान्य का नक्शा
लवण समुद्र का वर्णन लवण समुद्र जम्बूद्वीप को चारों ओर से घेरे हुये खाई के सदृश गोल है इसका विस्तार दो लाख योजन प्रमाण है। एक नाव के ऊपर अधोमुखी दूसरी नाव के रखने से जैसा आकार होता है। उसी प्रकार वह समुद्र चारों ओर आकाश में मण्डलाकार से स्थित है। उस समुद्र का विस्तार…
श्री देवी के परिवार कमल श्री देवी १ कमल सामानिक देव ४००० कमल आत्मरक्षक देव १६००० कमल अभ्यंतर पारिषद ३२००० कमल मध्य पारिषद ४०००० कमल बाह्य पारिषद ४८००० कमल अनीक देव ७ कमल प्रतीहार आदिदेव १०८ कमल ४००००±१६०००±३२०००±४००००±४८०००±७±१०८·१४०११५±१·१४०११६ कमल हैं। इनमें अतिरिक्त क्षुद्र कमल अनेकों हैं। इन परिवार कमलों से दूने प्रमाण ‘ह्री देवी’ के…
जम्बूवृक्ष के परिवार वृक्ष जम्बूवृक्ष को घेरे हुए १२ वेदिका हैं उनके अंतराल में जम्बूवृक्ष के परिवार वृक्ष हैं। १ वेदिका में वन उपवन आदि २ वेदिका में उपवन पुष्करिणी आदि ३ वेदिका में १०८ जम्बूवृक्ष ४ वेदिका में ४ जम्बूवृक्ष ५ वेदिका में वापियाँ आदि ६ वेदिका में वन खंड ७ वेदिका में १६०००…
जम्बूद्वीप में दो वृक्ष जम्बूद्वीप के देवकुरु में आग्नेय दिशा में शाल्मलि वृक्ष है एवं उत्तरकुरु की ईशान दिशा में जम्बू वृक्ष है। प्रत्येक के परिवार वृक्ष १४०१२० हैं। इन सबमें जिन भवन हैं। उन सब जिन प्रतिमाओं को हमारा नमस्कार होवे।
जम्बू़द्वीप के चैत्यालय जम्बूद्वीप में अठत्तर चैत्यालय हैं। सुमेरु के १६ कुलाचल के ६ विजयार्ध के ३४ वक्षार के १६ गजदंत के ४ जम्बू, शाल्मलिवृक्ष के २ (१६±६±३४±१६±४±२·७८ हैं।)
जम्बूद्वीप के पर्वतों के कूट जम्बूद्वीप में ५६८ कूट माने गये हैं। हिमवान पर ११ कूट, महाहिमवान पर ८, निषध पर ९, ऐसे ही नील पर ९, रुक्मि पर ८, शिखरी पर ११ हैंं। प्रत्येक विजयार्ध पर नौ-नौ कूट हैं, प्रत्येक वक्षार पर ४-४ कूट हैं। गजदंत पर्वतों में से दो पर ७-७ एवं दो…
६ भोग भूमि हैमवत और हैरण्यवत क्षेत्र में जघन्य भोगभूमि, हरि और रम्यक क्षेत्र में मध्यम भोगभूमि एवं विदेह के देवकुरु उत्तरकुरु में उत्तम भोगभूमि की व्यवस्था है।
१७० म्लेच्छ खंड प्रत्येक ३४ कर्मभूमि क्षेत्र संबंधी ५-५ म्लेच्छ खंड होने से ३४²५·१७० म्लेच्छ खंड हैं। इनमें जो मनुष्य हैं उनके आचार-विचार क्षत्रियोचित हैं, किन्तु संस्कार और धर्म से रहित हैं और म्लेच्छखंड में जन्म लेने से क्षेत्र म्लेच्छ हैं इसलिये ये म्लेच्छ कहलाते हैं।
६८ विद्याधर श्रेणियाँ भरत, ऐरावत और बत्तीस विदेह इनमें बीचों-बीच में एक-एक विजयार्ध है उन विजयार्धों में दक्षिण-उत्तर दोनों तरफ विद्याधर श्रेणियाँ हैं। इनमें भरत क्षेत्र के विजयार्ध के दक्षिण में ५० नगरी एवं उत्तर में ६० नगरियाँ हैं। ऐसे ही ऐरावत के विजयार्ध के दक्षिण में ६० और उत्तर में ५० नगरियाँ हैं। विदेह…