३४ कर्मभूमि
३४ कर्मभूमि भरत, ऐरावत और विदेह के प्रत्येक के एक-एक आर्यखंड हैं उन्हीं में कर्मभूमि की व्यवस्था है। अत: ३४ कर्मभूमि हैं।
३४ कर्मभूमि भरत, ऐरावत और विदेह के प्रत्येक के एक-एक आर्यखंड हैं उन्हीं में कर्मभूमि की व्यवस्था है। अत: ३४ कर्मभूमि हैं।
बत्तीस विदेह विदेह के बीचों-बीच में सुमेरु पर्वत है इसलिये पूर्व पश्चिम विदेह से दो भेद हुये हैं क्योंकि दक्षिण उत्तर में देवकुरु-उत्तरकुरु है। एवं नील निषध से सीता सीतोदा नदी ने निकल कर पूर्व पश्चिम में विदेह के दो-दो टुकड़े कर दिये। पुन: सोलह वक्षार और १२ विभंगा नदियों से इन ४ विदेह के…
सात क्षेत्र भरत, हैमवत, हरि, विदेह, रम्यक, हैरण्यवत और ऐरावत ये मुख्य सात क्षेत्र हैं। इनमें भरत का विस्तार ५२६-६/१९ योजन है आगे-आगे चौगुणे-चौगुणे हैं। विदेह के आगे की व्यवस्था दक्षिण के सदृश है। हैमवत हैरण्यवत में जघन्य भोगभूमि, हरि, रम्यक में मध्यम भोगभूमि एवं विदेह के देवकुरु उत्तरकुरु में उत्तम भोगभूमि है। भरत ऐरावत…
जम्बूद्वीप में वेदियाँ और उपवन खंड जम्बूद्वीप में तीन सौ ग्यारह पर्वत हैं। उनकी उतनी ही मणिमयी वेदी हैं अर्थात् ६ कुलाचल, ३४ विजयार्ध १६ वक्षार और ४ गजदंत। इन पर्वतों के दोनों पार्श्व भागों में मणिमयी वेदी हैं बाकी के कांचनगिरि, यमकगिरि, आदि पर्वत गोल हैं अत: इनके चारों तरफ वेदी हैं। छब्बीस सरोवर…
परिवार नदियाँ गंगा-सिंधु, रक्ता-रक्तोदा १४०००²४·५६००० रोहित्-रोहितास्या, सुवर्ण, रुप्यकूला, २८०००²४·११२००० हरित्, हरिकांता, नारी-नरकांता ५६०००²४·२२४००० सीता, सीतोदा ८४०००²२·१६८००० विभंगा नदी १२ हैं उनकी परिवार नदी २८०००²१२·३३६००० गंगा, सिंधु, रक्ता, रक्तोदा, ६४ हैं इनकी १४०००²६४·८९६००० ५६०००±११२०००±२२४०००±१६८०००±३३६०००±८९६०००·१७९२००० परिवार नदी हैं। इनमें मुख्य ९० नदी मिलाने से १७९२०००±९०·१७९२०९० नदियाँ जम्बूद्वीप में हैं।
प्रमुख नदियाँ गंगा सिंधु आदि १४, विभंगा नदी १२, विदेह की गंगा सिंधु आदि ३२ एवं रक्ता रक्तोदा ३२, १४±१२±६४·९० नदियाँ हैं।
छब्बीस सरोवर कुलाचलों पर पद्म, महापद्म आदि ६ सीता नदी के १० और सीतोदा नदी के १०, ऐसे ६±१०±१०·२६ सरोवर हैं।
जम्बूद्वीप में नब्बे कुण्ड हैं। गंगा, सिंधु आदि चौदह नदियाँ कुलाचल से जहाँ पर गिरती हैं वहाँ पर कुंड हैं अत: गंगादि के कुंड १४, विभंगा नदी जिनसे उत्पन्न होती है ऐसे उन निषध नील की तलहटी में होने वाले कुण्ड १२, प्रत्येक विदेह में गंगा-सिंधु और रक्ता-रक्तोदा नदियाँ निषध-नील की तलहटी के कुण्डों से…
जम्बूद्वीप की सभी चीजों का उपसंहार जम्बूद्वीप में तीन सौ ग्यारह पर्वत हैं जिनका स्पष्टीकरण— सुमेरु १ गजदंत पर्वत ४ कुलाचल ६ विजयार्ध ३४ यमक ४ वृषभाचल ३४ कांचनगिरि २०० नाभिगिरि ४ दिग्गज पर्वत ८ वक्षार पर्वत १६
भरत ऐरावत के म्लेच्छ खंडों की व्यवस्था पाँच म्लेच्छ खंड और विद्याधर श्रेणियों में अवसर्पिणी एवं उत्सर्पिणी में क्रम से चतुर्थ और तृतीय काल के प्रारंभ से अंत तक हानि व वृद्धि होती रहती है अर्थात् इन स्थानों में अवसर्पिणी में चतुर्थ काल के प्रारंभ से अंत तक हानि और उत्सर्पिणी काल में तृतीय काल…