प्रथम काल का वर्णन
प्रथम काल का वर्णन तदनंतर सुषमसुषमा नामक काल प्रविष्ट होता है काल स्वभाव से मनुष्य तिर्यंचों की आयु, अवगाहना आदि आगे बढ़ती जाती है। उस समय यह पृथ्वी उत्तम भोगभूमि के नाम से प्रसिद्ध हो जाती है। उस काल के अंत में मनुष्यों की आयु तीन पल्य प्रमाण और ऊँचाई तीन कोस प्रमाण है। उस…