हैमवत् क्षेत्र
हैमवत् क्षेत्र हैमवत् क्षेत्र का विस्तार हिमवान् पर्वत से दूना अर्थात् २१०५-५/१९ योजन (८४२१०५२-१२/१९ मील) प्रमाण है।
हैमवत् क्षेत्र हैमवत् क्षेत्र का विस्तार हिमवान् पर्वत से दूना अर्थात् २१०५-५/१९ योजन (८४२१०५२-१२/१९ मील) प्रमाण है।
वृषभाचल का वर्णन उत्तर भरत के तीन खंडों में से मध्यम खंड के बीचों-बीच में चक्रवर्तियों के मान का मर्दन करने वाला अनेक चक्रवर्तियों के नामों से व्याप्त रत्नों से निर्मित ऐसा वृषभाचल पर्वत है। यह पर्वत सौ योजन ऊँचा, मूल में सौ योजन विस्तृत, मध्य में पचहत्तर योजन एवं शिखर पर पचास योजन प्रमाण…
छह खंड का विभाजन गंगा-सिंधु नदी और विजयार्ध पर्वत से भरत क्षेत्र के छह खंड हो गए हैं अत: उत्तर और दक्षिण भरत क्षेत्र में से प्रत्येक के तीन-तीन खण्ड हैं। इनमें से दक्षिण भरत के तीन खंड में से मध्य का आर्य खंड है। शेष पाँचों ही ख्ांड म्लेच्छ खंड के नाम से प्रसिद्ध…
सिंधु नदी का वर्णन पद्म सरोवर के पश्चिम द्वार से सिन्धु नदी निकलती है। पर्वत पर ही थोड़ी दूर चलकर नदी के बीच में विकसित कमल सदृश वैडूर्य मणिमय नाल से युक्त एक उत्तम कूट है इसका सारा वर्णन पूर्ववत् है इस भवन में ‘‘लवणा’’ नामकी देवी रहती है। इसमें भी तोरण द्वार, सिन्धु कूट,…
गंगा नदी के आगे बढ़ने का वर्णन गंगा नदी इस कुण्ड के दक्षिण तोरण द्वार से निकलकर भूमि प्रदेश में मुड़ती हुई विजयार्ध पर्वत को प्राप्त हुई है। गंगा नदी के दोनों ही तट वेदियों पर स्थित वन खंड अत्रुटित रूप से विजयार्ध पर्वत तक चले गये हैं। गंगा तट वेदी संबंधी ये वनखंड उत्तम…
गंगा कुण्ड का वर्णन हिमवान् पर्वत के नीचे पृथ्वी पर साठ योजन विस्तृत, समवृत्त, दस योजन गहरा, मणिमय सीढ़ियों से युक्त एक कुण्ड है। वह कुण्ड चार तोरण और वेदिका से युक्त है। उसके बहुमध्य भाग में रत्नों से विचित्र, चार तोरण एवं वेदिकाओं से शोभायमान एक द्वीप है। वह द्वीप जल के मध्य में…
गंगा नदी का वर्णन पद्म सरोवर की पूर्व दिशा से गंगा एवं पश्चिम दिशा से सिंधु नदी निकलती है। उद्गम स्थान में गंगा नदी का विस्तार छह योजन एक कोस है इस नदी के निर्गमन स्थान में नौ योजन डेढ़ कोस ऊँचा दिव्य तोरण है। इस तोरण द्वार का चामर, घंटा, िंककणी और सैकड़ों वंदनमालाओं…
जिन मंदिरों का वर्णन इन कमल पुष्पों पर जितने भवन कहे गए हैं उतने ही वहाँ पर विविध प्रकार के रत्नों से निर्मित जिनगृह भी हैं। ये जिनभवन नाना प्रकार के तोरण द्वारों से सहित झारी, कलश, दर्पण, घंटा एवं ध्वजा आदिकों से परिपूर्ण हैं। इनमें उत्तम चामर, छत्र, सिंहासन, भामंडल, पुष्पवृष्टि आदि से संयुक्त…
कमल का वर्णन इस तालाब के मध्य में ब्यालीस कोस ऊँचा, एक कोस मोटा कमल का नाल है इसका मृणाल रजतमय है और तीन कोस मोटाई वाला है। इस कमल का कंद, अरिष्ट रत्नमय और नाल वैडूर्य मणि से निर्मित है। इसके ऊपर चार कोस ऊँचा किंचित् विकसित पद्म है। कर्णिका की ऊँचाई और लम्बाई…