देवों के जन्म स्थान
देवों के जन्म स्थान इन देवों के भवनों के भीतर उत्तम, कोमल उपपाद शाला है। वहाँ ये देव देवगति नाम कर्म के उदय से उत्पन्न होते हैं, अंतर्मुहूर्त में छहों पर्याप्तियों को पूर्ण कर १६ वर्ष के युवक के समान शरीर को प्राप्त कर लेते हैं। इन देवों के शरीर में मल, मूत्र, चर्म, हड्डी,…