जिनेन्द्रदेव के दर्शन का फल (धवला पुस्तक-६ से)
जिनेन्द्रदेव के दर्शन का फल (धवला पुस्तक-६ से) श्री वीरसेनाचार्य ने धवला पु. ६ में जिनेन्द्रदेव के दर्शन का फल बताते हुए लिखा है— तिर्यंचों में एकेन्द्रिय, दो इंद्रिय, तीन इंद्रिय, चार इंद्रिय और असंज्ञी पंचेन्द्रिय इनके सम्यक्त्व उत्पन्न नहीं होता है तथा सम्मूर्च्छन तिर्यंचों के भी प्रथम उपशम सम्यक्त्व प्राप्त करने की योग्यता नहीं…