सिद्धशिला एवं सिद्ध भगवान श्री गौतमस्वामी प्रणीत (प्रतिक्रमण पाठ से)
सिद्धशिला एवं सिद्ध भगवान श्री गौतमस्वामी प्रणीत (प्रतिक्रमण पाठ से) मंगलाचरण श्रीमते वर्धमानाय नमो नमितविद्वषे। यज्ज्ञानान्तर्गतं भूत्वा, त्रैलोक्यं गोष्पदायते।।१।। अर्थ—श्री वर्धमान स्वामी को नमस्कार हो कि जिन्होंने अपने अंतरंग कर्मशत्रु एवं बाह्य उपसर्ग करने वाले शत्रु को भी अपने चरणों में झुका लिया है एवं जिनके ज्ञान के अंतर्गत हुआ तीनों लोक जिनके केवलज्ञान में…