भजन
भजन तर्ज—क्या खूब दिखती हो…… यह शान्त छवी तेरी, बड़ी सुन्दर लगती है। मन्द मन्द मुस्कान सदा, चेहरे पे बिखरती है।। त्याग तपस्या की किरणें, अन्तर से निकलती हैं।। यह.।।टेक.।। तुमने जो पथ अपनाया-अपनाया, वह वीतरागता का मारग कहलाया। जहाँ ममता मोह न माया-निंह माया, जहाँ निर्ममता की मिलती शीतल छाया। विश्वप्रेम की दृष्टि जहाँ…