मंगलाचरण
मंगलाचरण -उपजाति छंद- पुनातु मे संभवनाथ! चित्तं, पुन: पुन: संसृतिदु:खतप्तम्। संस्तौमि नित्यं शरणं प्रपद्ये, भवाम्बुधे: पारगतं महेशम्।।१।। श्री संभवनाथ स्तोत्र -शंभु छंद- हे मोहध्वांत हर ज्योतिरूप, भास्कर भवहर संभव स्वामी। तव चरण सरोरुह को प्रणमूँ, धर्मेश्वर तीर्थेश्वर नामी।। त्रैलोक्य अलोकाकाश सहित, सब तुमने अवलोकित कीना। हे आप्त जिनेश्वर सब जग को, त्रैकालिक भी युगपत् जाना।।१।।…