समवसरण का वर्णन
समवसरण का वर्णन ॐ ह्रीं श्रीशांतिनाथतीर्थंकराय नम: भगवान को केवलज्ञान प्रगट होते ही इन्द्र की आज्ञा से कुबेर अर्धनिमिष में समवसरण की रचना कर देता है। उस समय भगवान तीनों लोकों को और उनकी भूत, भावी, वर्तमान समस्त पर्यायों को युगपत् एक समय में जान लेते हैं।भगवान शांतिनाथ का समवसरण पृथ्वी से ५००० धनुष (२००००…