जयमाला
“…जयमाला…” -शेरछंद- देवाधिदेव श्रीजिनेंंद्र देव हो तुम्हीं। श्रीसुपार्श्व तीर्थनाथ सिद्ध हो तुम्हीं।। हे नाथ! तुम्हें पाय मैं महान हो गया। सम्यक्त्व निधी पाय मैं धनवान हो गया।।१।। रस गंध स्पर्श वर्ण से मैं शून्य ही रहा। इस मोह कर्म से मेरा संबंध ना रहा।। हे नाथ! तुम्हें पाय मैं महान हो गया। सम्यक्त्व निधी पाय…