श्री गौतम गणधर चालीसा
श्री गौतम गणधर चालीसा रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती —दोहा— वंदूँ वीर जिनेन्द्र को, मन वच तन कर शुद्ध। उनके गणधर शिष्य को, नमूँ हृदय कर शुद्ध।।१।। श्री गौतम गणधर हुए, गणनायक मुनिराज। जिनकी वाणी सुन बने, अन्य बहुत मुनिराज।।२।। उन गणधर भगवान का, चालीसा सुखकार। है सम्यक््â श्रुतज्ञान का, यह भी इक आधार।।३।। —चौपाई— जय हो…